अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की विस्तृत कहानी
दुनिया के इतिहास में लंबे समय तक शिक्षा केवल कुछ वर्गों तक सीमित रही। ग़रीब, महिलाएँ और पिछड़े वर्ग के लोग शिक्षा से वंचित रह जाते थे। परिणाम यह हुआ कि करोड़ों लोग पढ़ना-लिखना नहीं जानते थे। वे न तो अख़बार पढ़ सकते थे, न सरकारी नियम समझ सकते थे और न ही सही-गलत पहचान सकते थे।
द्वितीय विश्व युद्ध (1945) के बाद पूरी दुनिया को यह एहसास हुआ कि शिक्षा के बिना शांति, विकास और समानता असंभव है। इसी सोच से बना संगठन – यूनेस्को (UNESCO), यानी United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization।
🌍 यूनेस्को का बड़ा निर्णय
1960 के दशक में जब यह पाया गया कि दुनिया की आधी से अधिक आबादी निरक्षर है, तब यूनेस्को ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया।
1966 में यूनेस्को की 14वीं जनरल कॉन्फ्रेंस में यह तय हुआ कि हर साल 8 सितंबर को “अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस” मनाया जाएगा।
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